संसद शीतकालीन सत्र: राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के प्रमुख मुद्दे
1 दिसंबर से प्रारंभ हुआ संसद का शीतकालीन सत्र देश की एकता, सुरक्षा और विकास के महत्वपूर्ण प्रश्नों को लेकर चर्चा का केंद्र बनने जा रहा है। 19 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में 15 बैठकें निर्धारित हैं, जिनमें राष्ट्रीय हित के कई अहम विषयों पर विचार-विमर्श होगा।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया और चुनावी सुधार
स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया को लेकर विभिन्न दलों के बीच मतभेद दिखाई दे रहे हैं। यह प्रक्रिया लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। संविधान और चुनाव आयोग की नियमित प्रक्रिया के अनुसार यह कार्य संपन्न हो रहा है, जो भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।
राष्ट्रीय सुरक्षा: सर्वोच्च प्राथमिकता
राजधानी दिल्ली में हाल की घटनाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। देश की सुरक्षा, खुफिया तंत्र और कानून व्यवस्था पर गहन चर्चा की आवश्यकता है। भारत की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना समय की मांग है।
पर्यावरण संरक्षण: सभ्यतागत दायित्व
दिल्ली और उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या पर व्यापक चर्चा होगी। यह केवल एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी सभ्यतागत जिम्मेदारी है। प्राचीन भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ सामंजस्य का सिद्धांत निहित है, जिसे आधुनिक नीतियों में शामिल करना आवश्यक है।
वन्दे मातरम्: सांस्कृतिक गौरव
राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् के 150वें वर्ष पर विशेष चर्चा होगी। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इसकी ऐतिहासिक महत्ता और सांस्कृतिक मूल्यों पर गहन विमर्श से राष्ट्रीय चेतना को बल मिलेगा।
आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता
सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक प्रस्तुत होंगे। परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 से ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता मिलेगी। बीमा कानून संशोधन विधेयक 2025 और दिवालिया संहिता संशोधन विधेयक 2025 से आर्थिक सुधार को गति मिलेगी।
यह सत्र भारत के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा और विकास के मुद्दों पर रचनात्मक बहस से देश को नई दिशा मिल सकती है।